मंगलवार, 5 जुलाई 2016

उत्तराखंड का महर/ महरा गूजर समुदाय - डा. सुशील भाटी

                                                                    डा. सुशील भाटी

5 अगस्त को उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ विकास खंड की गूजर महर/ महरा जाति को अन्य पिछड़े वर्ग का दर्जा प्रदान किया हैं, इस आशय की खबर 6 अगस्त 2013 को उत्तराखंड के सभी अखबारों में छपी हैं| पंडित हरिकृष्ण रतूडी नेगढ़वाल का इतिहास नामक पुस्तक  में उत्तराखंड के महरा समुदाय की उत्त्पत्ति हरिद्वार जनपद के लंढोरा नामक स्थान से आये हुए गूजरों से बताई हैं| उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के गूजर भी अन्य पिछड़े वर्ग में आते हैं|

यदि उत्तराखंड के अन्य स्थानों के गूजर महर/ महरा समुदाय की सामजिक एवं शेक्षणिक स्थिति चिन्यालीसौड़ विकास खंड के गूजर महर समुदाय जैसी हैं तो उत्तराखंड के सभी महरा लोगो को अन्य पिछड़े वर्ग में लिया जा सकता हैं|

महर मिहिर शब्द का रूपांतर हैं| इतिहासकार डी. आर. भंडारकर के मिहिर हूणों का दूसरा नाम हैं| हूण गूजरों का एक महत्वपूर्ण गोत्र हैं| मिहिर अजमेर इलाके के गूजरों की उपाधि हैं| गूजर महर/ महरा समुदाय के उद्गम स्थल लंढौरा गूजरों की रियासत रही हैं, और वह हूणों के कुछ गांव भी हैं| जिनमे कुआखेड़ा हूणों का प्रसिद्ध गांव हैं| कुआखेडा नामक एक गांव खटीमा की तरफ भी हैं, जिसमे महरा समुदाय के लोग भी रहते हैं|

सन्दर्भ

J M Campbell, The Gujar, Gazeteer of Bombay Presidency, vol.9, part.2, 1896

D R Bhandarkarkar, Gurjaras, J B B R A S, Vol.21, 1903


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