सोमवार, 14 अगस्त 2017

क्रांति की मशाल जलती रहे: विजेंद्र कसाना एडवोकेट

साथियो जब वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो को भगाया तब किसी प्रकार का संचार का सुगम साधन नही था! फिर भी उस क्रांति की प्रबलता ओर परिणाम विश्व विदीत है| कारण आज तक ढुढा जा रहा है| पर कारण कोई ओर नही सिर्फ जुल्म की पराकाष्टा था| आज आप के पास संचार के प्रबल माध्यम है जो हर शोषित तक पहुचने का सीधा माध्यम है| उस समय अंग्रेजो ने फासी चढ़ा कर लाखो क्रांतिकारी गुर्जरों को मारा आज स्वयं आर्थिक विषमता के कारण (किसान) आत्महत्या कर रहे है क्या आजाद भारत मे यह क्रम चलता रहेगा| क्या अब भी हम काले अंग्रेजो की रहनुमाई मे आशाओ के साथ जिते मरते रहेगे| नहि हा जो लम्बा-लम्बा लेख लिखते हे भाषण देते हे उन्हे थोडी पिडा़ होगी विजय आप के द्वार खडी है ईसे छुने भर से सारे कष्ट मिटजायेगे  आप की आबादी आप की ताकत ओर आप का सोना आप की कमजोरी

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