गुर्जर इतिहास के बिना भारतीय इतिहास ही अधूरा है।
चौधरी नेपाल सिंह कसाणा
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय गुर्जर महासभा
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
अपना दल (एस)
प्रेदश प्रभारी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान
मुठ्ठी भींच जाती है, भृकुटि तन जाती है, नसों मे खुन गर्म लावे की तरह दौड़ता महसूस होने लगता है, साँसो की रफ्तार तेज होने लगती है, शरीर मे बिजली जैसी सरसराहट पैदा हो जाती है, मस्तक ऊँचा उठने लगता है ओर ऐसा लगने लगता है कि बस अंदर से एक दहाड़ निकलने वाली है...ये तब होता है जब भी कभी अकेले मे इतिहास किस्से कहानियाँ याद आती है, उन गुर्जर सपूतो की जो चले गये ओर एक शौर्य गाथा छोड़ गए अपने पीछे। गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है जब नाम के साथ गुर्जर जोड़कर कोई पुकारता है। हम इसलिए गर्व करते है अपने इतिहास ओर अपनी कौम के सिंह समान सपूतो पर क्योंकि हमें मौका मिला उनको पढने का, हमने किस्से कहानियाँ सुनी अपने बुजुर्गों से अपनी कौम के वीरो की अपने पूर्वजो की। हमें याद है अपना गौरवशाली इतिहास क्योंकि हमने नाटकों सभाओं ओर सांगो मे सुना ओर देखा अपने समाज के इतिहास ओर हस्तियों के अमिट योगदान ओर जज्बे शहादत को। हमारा सौभाग्य था कि हमें गाँव कि चौपाल, बुजुर्गों का साथ, उनका आशीर्वाद बचपन से मिलता आया। हमारा बचपन गाँवो की चौपालो मे ओर बुजुर्गो के साथ बैठकर बीता। जवानी मे अपने समाज के बुद्धिजीवी लोगों के साथ रहने का मौका मिल रहा है।इसिलिए हमें अपने इतिहास ओर पूर्वजों कि शौर्य गाथाओ का ज्ञान है। लेकिन हमारी आने वाली पिढियाँ ओर हमारी नस्ले हमारे बच्चे शायद ही इस गौरवशाली इतिहास को सुनने ओर जानने का सौभाग्य पा सके..मुझे तो नही लगता। क्योंकि आज के दौर ओर परिवेश मे ना चौपाले है ना बुजुर्गों का साथ है। चौपालो मे बैठाना ओर जाना तो दूर की बात उनको पता तक नहीं है चौपाल कहते किसे है। जहाँ बचपन मे बच्चों को महाबली दादावीर जोगराज सिंह के वे किस्से कहानियाँ सुनाई जाती थी जिनमें बच्चों को बताया जाता था, कैसे एक गुर्जर महाबली ने तैमूरलंग के छक्के छुड़ा दिये थे, आज उनकी जगह बच्चों को शाहरूख खान ओर जेम्स बांड़ सुनाया जाता है। जहाँ कभी वीरांगना रामप्यारी गुर्जरी की गाथाए घर मे बच्चों को दादी रात मे सुनाया करती थी। आज वहां रामप्यारी गुर्जरी की जगह सन्नी लियोनी ओर जैनिफर लोपेज दिखाई जाती है। राजा विजय सिंह गुर्जर व कल्याण सिंह गुर्जर के देश प्रेम के किस्सो की जगह कोहली अनुष्का की रासलीला बच्चों को दिखाई जाती है।
आज बच्चों को तो छोड़ो अधिकतर गुर्जर युवाओं तक को मालूम नही है कि राजा उमराव सिंह गुर्जर, फतुआ गुर्जर जैसे शेर हमारे पुर्वज थे ओर कैसे उन्होंने देश के दुश्मनो के नाक मे नकेल ड़ाल दी थी । आज का युवा, बच्चा विड़ियो गेम ओर टीवी मोबाइल मे व्यस्त है ओर आईपीएल मे मस्त है, अपनी गुर्जर कौम के गौरवशाली इतिहास से कोसो दूर अंधकार मे अज्ञान से ग्रस्त है।
एक दूसरी बात ये ही हमारे गुर्जर समाज के इतिहास को मिटाने ओर दबाने का काम बहुत पहले से होता आया है ओर हो रहा है। मुगलो तुर्कीयो अवनो से लेकर अग्रेजो तक हमारे गुर्जर समाज ने कदम कदम पर लोहा लिया।कदम कदम पर इनको धुल चटाकर इस भारतवर्ष कि लाज बचायी। इसी गुर्जर समाज की चौपालो मे अवनो के सिर काटकर गाड़ दिये गए। इन्हीं गुर्जरो की तलवारो ने कितने ही फिरंगियो को मौत के घाट उतार दिया गया।इन्हीं गुज्जरो के कितने ही लाल दुश्मनो की तोप के दाहनों पर छाती अड़ाकर खड़े हो गये थे। कितने ही गुर्जर सुरमा इस देश के लिए फाँसी चढ गये।गर्दने कटवाना मंजूर था पर दुश्मन के सामने झुकना नही। अग्रेजो को हमारे खौफ ने हमे अराजक जाति घोषित करने पर मजबूर कर दिया। जितनी कुर्बानिया हमने दी इतनी सबने मिलकर भी नहीं दी होगी इस देश के लिए। लेकिन मिला क्या???मिला अपने ही देश मे अपमान ओर जलालत। अपने ही देश मे गुमनाम बना दिये गए। देश के इतिहास मे गुर्जर समाज के बलिदान को गुमनामी के अंधेरे मे धकेल दिया गया। स्कूल की इतिहास की पुस्तकों मे बाबर अकबर महाराणा शिवाजी पढ़ाया जाता है लेकिन ना गुर्जर सम्राट कनिष्क महान, गुर्जर सम्राट मिहिरकुल हूण, ना गुर्जर सम्राट मिहिरभोज पढाया जाता, ना पुलकेशिन चालुक्य पढाया जाता, ना सवाईभोज, ना सूबा देवहंस कसाणा, ना राहिल, हर्ष, यशोवर्मन् और धंग पढाया जाता। हमारे गुर्जर समाज के वीरो को इतिहास मे कुछ इस तरह दफना दिया गया के जैसे वो हुए ही ना हो। स्वतंत्रता युद्ध का नायक बनाकर मंगल पांड़े को इतिहासो मे अमर कर दिया गया लेकिन धनसिह कोतवाल गुर्जर को गुमनामी की अंधी खाई मे ड़ाल दिया गया इस देश के स्कूलों की किताबों मे। आज पूछ कर देख लो अपने स्कूल जाने वाले बच्चों से के बताओ धनसिह कोतवाल कौन था?? मै लिख कर दे सकता हूँ वो एक शब्द धनसिह गुर्जर के बारे मे बता नही सकते। उनकी गलती नही है क्योंकि उनको पढाया ही नहीं जाता स्कूल मे कि आजादी के युद्ध का नायक धनसिह कोतवाल था।
गांधी नेहरू के अनशन तो बच्चों की किताबों मे है लेकिन ये किसी किताब मे नही लिखा कि अंग्रेजो पर बुलंदशहर के काले आम पर बहुत से गुर्जर क्रान्तिवीरो के साथ राजा राव उमराव सिहँ भाटी, राव रोशन सिहँ भाटी, राव बिशन सिहँ भाटी को बुलन्दशहर मे कालेआम के चौहराहे पर हाथी के पैर से कुचलवाकर फाँसी पर लटका दिया था। चन्द्रशेखर की तरह हमारे गुर्जर समाज के ऐसे आजाद ख्यालो के वीरो को इतिहास से बेदखल कर दिया गया। जैसे चन्द्रशेखर का नाम बच्चे बच्चे कि जुबान पर मिलता है क्या कभी सुना है झंड़ा गुर्जर का नाम किसी से??? नही सुना होगा। मेरठ के इलाके में झंडा नाम का एक मशहूर बागी था।
झंडा मेरठ जिले की सरधना तहसील के बूबकपुर गांव का रहनेवाला था। कहते हैं की उसने अंग्रेजी शासन-सत्ता को चुनौती देकर दबथुवा के साहूकारों के घर धावा मारा। उसने पोस्टर चिपकवा कर अपने आने का समय और तारीख बताई और तयशुदा दिन वह साहूकार के घर पर चढ आया। भारी-भरकम अंग्रेजी पुलिस बल को हरा कर उसने साहूकार के धन-माल को ज़ब्त कर लिया और बही खातों में आग लगा दी। साहूकार की बेटी ने कहा की सामान में उसके भी जेवर हैं, तो झंडा ने कहा कि “बहन जो तेरे हैं ईमानदारी से उठा ले”।
इतिहास की किताबों मे सबको जगह मिली क्या वीर विजय सिंह पथिक को इतिहास मे सम्मान मिला??। क्या कोई स्कूली बच्चा बता सकता है कौन था विजय सिंह पथिक?? नही बता सकता। क्योंकि उन्होंने ये नाम कभी पढ़ा या सुना ही नही।
खुब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी हर कोई जानता है लेकिन धौला गुर्जरी, रामप्यारी, विरागंना मृगनयनी का नाम बच्चे तो छोड़ो युवा तक नही जानते होंगे। क्योंकि ये सब अंधकार के तुफान मे बहा दिये गए अपने ही देश मे। कुषाण, हूण, चौहान, गहलोत, सोलंकी, प्रतिहार आदि वंश मूलतः गुर्जर है। गुर्जर प्रतिहार वंश भी हमारे पूर्वजों से ही सुशोभित रहा जिसने 300 साल तक अरब मुस्लिम आक्रांताओं को इस देश में घुसने नहीं दिया और भारतीय संस्कृति को मिटने और नेस्तनाबूद होने से बचाया था।
भारत की संसद पर हमले की घटना हर किसी को याद है ओर मालूम है लेकिन ये शायद ही किसी को मालूम हो कि उस हमले मे हमारे चार गुर्जर शेर श्री नानकचंद , श्री महिपाल, श्री बिजेन्द्र सिंह, श्री वीरेन्द्र सिंह शहीद हुए थे। ये सबुत है इस बात का कि गुर्जर वीरो का बलिदान हमेशा गुमनामी के समुद्र मे दफन किया जाता रहा है। दरियावसिंह, प्रताप राव, उमराव माटी, मनसुख गुर्जर, अनंगपाल तंवर, जैत सिंह, इंद्र सिंह गुर्जर (विजय सिंह पथिक के दादा), दयाराम खारी गुर्जर, कदम सिंह गुर्जर, अचल सिंह गुर्जर, ऐमन सिंह गुर्जर, सूबा देवहंस कसाना गुर्जर, हिम्मत सिंह गुर्जर, फतेह सिंह गुर्जर, फत्ता गुर्जर नंबरदार, सुलेख सिंह गुर्जर, कलुआ सिहं गुर्जर, राजा हरिसिंह गुर्जर (सहारनपुर रियासत के राजा), गुर्जराणी आशा देवी (मुजफ्फरपुर), उदमीराम, बाल्लेतंवर, जोगराज ओर ना जाने कितने ही नाम है जिनको इतिहास से बेदखल सा ही कर दिया गया और ये ही नहीं ऐसे लाखो नाम है। हमारे गुर्जर समाज के वीरो के जिनको इतिहास मे अनदेखा कर दिया गया। नाम लिखते लिखते कागज कम पड़ जायेगे कलम कि स्याहि सूख जाएगी पर ये नामों ओर बलिदानो का किस्सा खत्म नही होगा।
लेकिन याद रखना मेरे गुर्जर समाज के लोगों ये अनदेखी आने वाले समय मे बहुत भारी पड़ेगी इस समाज को। जिनके पूर्वजों के नाम इतिहास से मिट जाते है ना उनकी नस्ले अपने इतिहास ओर गौरव से अनजान ओर विमुख होकर अंधकार मे खो जाती है। कायरता का दानव उनकी खुद्दारी ओर वीरता को निगलने लगता है। जब हमारी नस्ले अपने इतिहास से ही अनजान हो जायेगी तो समझ लेना ये गुर्जर होने का गौरव ओर गर्व वो खुद ब खुद को देंगे।उनको ये एहसास ओर अनुभव होना बंद हो जाएगा की हम महान ओर शूरवीर कौम के खून का कतरा है। अब भी समय है जागो ओर आवाज उठाओ अपने समाज के गौरव को इतिहास मे उचित स्थान ओर सम्मान दिलाने के लिए और जो हमारे गुर्जर समाज के प्रतिनिधि संसद मे बैठे है ना उनको भी कहना चाहता हूँ नींद ओर नशे से बाहर आ गये हो तो माँग करो अपनी सरकार से अपने समाज के वीरो को स्कूल की इतिहास पुस्तकों मे जगह देने की। तुम लोगों को संसद मे सिर्फ सब्सिड़ी वाली थाली खाने के लिए नहीं भेजा है इस समाज ने बल्कि इसलिए भेजा है कि अपने समाज के लिए आवाज बुलंद कर सको।
स्कूली इतिहास की किताबों मे जो होता है उसी को बच्चा बचपन से पढ़ता है ओर वही नाम उसके मन मस्तिष्क पर छप जाते है।इसलिए हमारे समाज के वीरो को बच्चों की किताबों मे जगह मिले तभी वो जान पायेगे अपने गौरवशाली इतिहास को और आप लोग कितना ही आधुनिक बनाओ कुछ ही सिखाओ पढाओ अपने बच्चों को कोई दिक्कत नही लेकिन हर रोज अपने बच्चे को अपनी गुर्जर कौम के किसी ना किसी वीर की कहानी जरूर बताएँ और वो तमाम युवा जो आईपीएल, क्रिस गेल, वाटसन, आमीर, रीतिक, जेम्स बांड़ से लेकर मोदी, योगी, अखिलेश, राहुल आदि आदि की माला जपते हो, खुब जपो लेकिन बस इतना कहना चाहता हूँ अपने गौरवशाली इतिहास के कुछ पन्ने जरूर पढे। क्योंकि आप और आपकी आने वाली नस्ले तभी गुर्जर होने पर गर्व कर पायेगी जब आपको ओर आने वाली नस्लो को गर्व करने का कारण पता होगा। हमने भी अपने गुर्जर समाज के मान सम्मान और स्वाभिमान को जीवन्त रखने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ जब तक जिंदा रहेंगे इतिहास के पन्नों में छिपे अपने इतिहास को भारत के एक एक व्यक्ति के सामने लाने के लिए तन मन धन से पूरी ताकत के लगे रहेंगे। बस इंतजार है आपका....प्रकाशित गुर्जर इतिहास की किताबों को खरीदने के लिए आपको भी प्रतिज्ञा लेनी ही होगी..अब गुर्जर समाज ने अंगड़ाई ले ली है अपने पूर्वजों कि शौर्य गाथा को प्रत्येक के कानों में जोर जोर से सुनाना है..।
लेख बहुत लंबा हो गया अब बस चार लाइनो के साथ खत्म करूँगा-
इतिहासो के पन्नों मे जिनकी अमर कहानी रहती है।
उन वीरो की यशगाथा हर ओर जवानी गाती है।
लेकिन जिनको दफन कर दिया जाता है इतिहासो मे।
उनके निशा भी नहीं मिलते गुमनामी के वनवासो मे।।
जय गुर्जर, जय गुर्जर।।