बुधवार, 25 जुलाई 2018

बिजौलिया कॉलेज का नाम हर हाल में विजय सिंह पथिक किया जाए वरना आंदोलन को होंगे मजबूर

बिजौलिया कॉलेज का नाम हर हाल में विजय सिंह पथिक किया जाए

मांडलगढ़। (25जुलाई2018)

मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के थलखुर्द गांव में आज गुर्जर समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता नन्दलाल गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बिजौलिया के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण विजय सिंह पथिक राजकीय महाविद्यालय बिजौलिया किया जाए, अगर समय रहते हुए बिजौलिया कॉलेज का नाम विजय सिंह पथिक के नाम से नहीं किया गया तो गुर्जर समाज आंदोलन करने को मजबूर होगा। बिजोलिया की पहचान विजय सिंह पथिक जी के नाम से है। पथिक जी ने सर्वप्रथम किसानों का सफल आंदोलन का नेतृत्व किया जिसे इतिहास में बिजौलिया किसान आंदोलन के नाम से याद किया जाता है। विजय सिंह पथिक जी किसी जाति विशेष के नेता नहीं थे, वे शोषित, पीड़ित, मजदूर, किसान एवं जनता के लोकनेता थे। किसानों के मसीहा थे। किसान पथिक जी को अपना देवता मानते थे। मांडलगढ़ विधायक विवेक धाकड़ ने भी बिजोलिया कॉलेज का नाम विजय सिंह पथिक किए जाने का समर्थन करने पर गुर्जर समाज ने धन्यवाद ज्ञापित किया साथ ही भीलवाड़ा जिला प्रमुख शक्ति सिंह हाड़ा से मांग की कि बिजोलिया कॉलेज का नाम विजय सिंह पथिक के नाम से करवाने में समर्थन करें अन्यथा गुर्जर समाज चुनाव में एक बार फिर हार का रास्ता दिखाएंगा। बैठक में कोटड़ी चारभुजा गुर्जर समाज मन्दिर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष हीरालाल गुर्जर, अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के ब्लॉक अध्यक्ष भेरूलाल गुर्जर पूर्व सरपंच, लादूलाल गुर्जर सरपंच, पंचायत समिति सदस्य नारायणलाल गुर्जर, पंचायत समिति सदस्य शिवकुमार गुर्जर, पंचायत समिति सदस्य एवं पथिक सेना के जिला उपाध्यक्ष रतनलाल गुर्जर, लालचन्द गुर्जर लाडीजीकाखेड़ा, दिनेश गुर्जर पचानपूरा, युवा गुर्जर महासभा के ब्लॉक अध्यक्ष राधेश्याम गुर्जर, देव सेना के ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल गुर्जर, महामंत्री छितरलाल गुर्जर, गुर्जर धर्मशाला त्रिवेणी के अध्यक्ष कन्हैयालाल गुर्जर, भाजयुमो मण्डल उपाध्यक्ष बरदीचन्द गुर्जर, घीसालाल गुर्जर, छात्रनेता सीताराम गुर्जर, कमलेश गुर्जर, सोराम गुर्जर, अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के जिला मीडिया प्रभारी मुकेश गुर्जर, सामाजिक कार्यकर्ता नन्दलाल गुर्जर आदि ने एकमत होकर मांग की कि बिजौलिया कॉलेज का नाम विजय सिंह पथिक के नाम से किया जाए अगर नामकरण समय रहते नही किया गया तो गुर्जर समाज आंदोलन को मजबूर होगा।

गुरुवार, 5 जुलाई 2018

गुर्जर समाज ने किया तोगड़िया का स्वागत

गुर्जर समाज ने किया तोगड़िया का स्वागत

दिल्ली 05जुलाई2018

प्रखर राष्ट्रवादी नेता डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया के अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर आज दिल्ली में गुर्जर समाज द्वारा स्वागत किया गया। गुर्जर समाज के प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय महासचिव सत्यवीर गुर्जर, मेरठ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख बृजवीर सिंह गुर्जर, राष्ट्रीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय सचिव अनिल मावी ने मुलाकात की। अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया से राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सामाजिक, धार्मिक एवं किसानों के मुद्दों पर गुर्जर नेताओं की विस्तृत चर्चा की हुई। अगर डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया की जाति की चर्चा की जाए तो वो गुर्जर समुदाय से ही है और उन्होंने वार्ता में बताया कि उनका गौत्र तोंगड (तोगड़िया) है। इस अवसर पर तोगड़िया ने गुर्जर नेताओं के साथ ही भोजन किया।

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

हिन्दुत्व को समर्पित डॉ प्रवीण तोगड़िया अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद

डॉ प्रवीण तोगड़िया वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष है, वे पेशे से एक विख्यात कैंसर सर्जन है। उन्हें १९७९ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंस्वेकों का मुख्य मार्गदर्शक केवल २२ वर्ष की उम्र में चुना गया। उन्हें उनके उत्तेजक और गर्म बयानों के लिए जाना जाता है। हिंदुत्व की व्याख्या का ये उदहारण समेत सटीक विवरण देते है। ये सौराष्ट्र के पटेल गुर्जर है, किसान के बेटे है। बचपन में एक बार उन्हें सोमनाथ मंदिर में जाने का अवसर प्राप्त हुआ (सोमनाथ के पुनरुद्धार से पहले), जब उन्होंने सोमनाथ के ध्वस्त अवशेष देखे तो उनके जीवन की दिशा ही बदल गयी और वे हिन्दुतत्व के पुनरुद्दार में लग गए। ये युवा अवस्था में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। रामेश्वर पालीवाल, एक आरएसएस प्रचारक संघ के मार्गदर्शन मे युवा तोगड़िया ने स्वयं सेवक के रूप में अपना जीवन शुरू किया। समस्त विश्व के हिन्दुत्व के कार्यकर्मो में व्यस्त रहने के बावजूद भी ये महीने में एक सप्ताह रोगियों की जाँच के लिए देते है। तोगडिया के मुताबिक हिन्दू मजबूत और सैन्य स्थिति में होने के बावजूद सभी धर्मो को सामान दृष्टि से देखता है।

रविवार, 1 जुलाई 2018

1824 से जारी है गुर्जर आंदोलन

1824 का विशाल गुर्जर आंदोलन -

तलवार और भालों से किया था गुर्जरों ने बंदूकों का सामना – 1824 का विशाल गुर्जर आंदोलन
गुर्जर आंदोलन – भारत जब गुलाम था तब देश के अलग-लग जगहों पर देश को स्वतंत्र कराने के लिए आन्दोलनों का दौर चल रहा था.
दश के इतिहास में बड़े-बड़े आन्दोलन हुए लेकिन आज इतिहास की किताबों में वहीँआन्दोलन दर्ज हैं जिनके अंदर बड़े नेता या देश का खास एक परिवार शामिल था.
बहुत ही कम इतिहास की किताबें ऐसी हैं जहाँ 1857 से पहले के आन्दोलनों का जिक्र किया गया है.

जब हम आन्दोलनों को पढ़ना शुरू करते हैं तो हम राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन तो पढ़ लेते हैं किन्तु क्षेत्रीय स्तर के आंदोलनों को पढ़ना भूल जाते हैं और यही हमारी सबसे बड़ी गलती होती है. असल में अंग्रेजों की हुकूमत को राष्ट्रिय आन्दोलनों ने नहीं बल्कि क्षेत्रीय आन्दोलनों ने खोखला किया था.सन 1824 में देश के एक हिस्से में गुर्जर आंदोलन हुआ था और इस आंदोलन ने कुछ वैसा ही प्रभाव कायम किया था जैसा कि 1857 की क्रांति से उत्पन्न हुआ था. इन दोनों आन्दोलनों में बसफर्क इतना था एक आन्दोलन देश व्यापी हो गया था और एक आंदोलन निश्चित क्षेत्र तक फ़ैल कर थम गया था.

गुर्जर आंदोलन –

गुर्जर आंदोलन का सच्चा इतिहास

सबसे पहले यह जानना बेहद जरुरी है कि अंग्रेजों के खिलाफ 1757 से ही अलग-अलग जगहों पर विद्रोह चल रहे थे. भारतीय समाज ने शुरुआत से ही अंग्रेजों का विरोध किया था. सन 1824 मेंसहारनपुर, हरिद्वार और मेरठ में अंग्रेजों एक खिलाफ जबरदस्त विद्रोह चल रहे थे. अंग्रेजों ने इन आन्दोलनों को रोकने के लिए यहाँ छावनी तक बना रखी थी. सहारनपुर और हरिद्वार क्षेत्र में कुछ कस्बे ऐसे थे जहाँ गुर्जर वंश का साम्राज्य कायम था. हरिद्वार के पास आज जो रूडकी शहर है वहां पहले लंढौरा नाम का एक कस्बा काफी मशहूर था और यहाँ तब 804 गाँव थे. तब उस समय यहाँ लंढौरा, नागर, भाटी, जाटो की कुचेसर आदि जातियां राज कर रही थीं. अंग्रेज भली-भांति जानते थे कि यह जातियां कभी भी हमारे लिए खतरा बन सकती हैं. यही कारण था कि अंग्रेज इन लोगों कोकिसी भी हालत में खत्म कर देना चाहते थे.

यह बात कुछ उस समय की है जब अंग्रेजों को बर्मा के हाथों हार मिली थी और यहाँ के गुर्जरों को ऐसा लगने लगा था कि अब शायद इस बड़ी हार के कारण अंग्रेज डरे हुए हैं और यही समय है जब अंग्रेजों से देश को आजाद कराया जा सकता है. ऐसा बताया गया है कि तब गुर्जरों में एक बड़े ताकतवर नेता होते थे जिनका नाम राजा विजय सिंह था उन्होंने इस गुर्जर आंदोलन की कमान अपने हाथों में ली थी और देश को आजाद कराने के लिए तलवार और भालों से ही बंदूकों का सामना करने यह निकल गये थे.

मात्र 5 महीनों में हिला दी थी अंग्रेजों की जड़ें

आप अगर गुर्जर इतिहास को पढ़ते हैं तो आपको सन 1824 का विशाल गुर्जर आंदोलन पढ़ने को जरुर मिल जायेगा. इतिहास की पुस्तक कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जब आप पढेंगे तो आपको यहाँ लिखा नजर आएगा कि गुर्जरों ने सर्वप्रथम 1824 में कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकदार विजय सिंह और कल्याण सिंह उर्फ कलवा गुर्जर के नेतृत्व में सहारनपुर में जोरदार विद्रोह किये. पश्चिमी उत्तर प्रदेशके गुर्जरों ने इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो सका था.

वैसे  ऐसा भी बताया जाता है कि यह विद्रोह कुछ 5 महीने चला था लेकिन इस समय में कई बार अंग्रेजों के खजाने को लूट लिया गया था. 3 अक्तूबर 1824 का दिन इन शहीद स्वतंत्रता सेनानियों केलिए एक बुरा दिन था. जो आन्दोलन अब सहारनपुर और देहरादून तक फैलता जा रहा था वह अचानक से किसी खबरी के कारण रुक जाता है. अंग्रेजों ने इस दिन भारी सेना के साथ राजा विजय सिंहजिस किले में छुपे हुए थे वहां वहां हमला किया था. इन गुर्जरों ने शहीद होने से पहले तलवारों और भालों से ही अंग्रेजों का सामना किया था किन्तु एक समय बाद यह लोग संघर्ष करने में असफल होगये थे.

सन 1824 का यह गुर्जर आन्दोलन बेशक उस समय असफल हो गया था किन्तु यह आग जो इन वीर गुर्जरों ने लगे थी यह आग आगे चलकर 1857 की क्रान्ति में तब्दील भी हुई थी. आज भारतवर्षको इन वीरों की कहानियों को नई पीढ़ी के सामने लाने की आवश्यकता है ताकि इन कहानियों को पढ़कर यह साफ़ हो जाए कि भारत को आजादी मात्र कुछ लोगों के संघर्ष से नहीं मिली है और ना हीयह आजादी किसी परिवार की बपौती है.

(अधिक जानकारी के लिए आपको इतिहास की पुस्तक कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जरुर पढ़ लेना चाहिए. यह पुस्तक आपको सहारनपुर या गुर्जर वंश के इतिहास पुस्तकालय में में आसानी से मिल जाएगी.)

Source - youngistan.in

गुर्जर समाज का प्रतिनिधिमण्डल मिला शहीद ओरंगजेब गुर्जर के परिवार से

गुर्जर समाज का प्रतिनिधिमण्डल मिला शहीद ओरंगजेब गुर्जर के परिवार से

गुर्जर नेता अनंतराम तंवर के नेतृत्व में गुर्जर समाज का प्रतिनिधिमंडल मिला शहीद ओरंगजेब गुर्जर के परिवार से।

शहिद औरंगजेब गुर्जर के घर गांव सलानी, तहसील मेंडर, जिला पुंछ, (जम्मू कश्मीर) में श्रद्धांजलि देने पहूचे भारतीय गुर्जर कल्याण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनतराम तंवर , वरिष्ट राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमर रब्बानी चेची कश्मीर, राष्ट्रीय मुख्य महासचिव केवराज बोकन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नत्थू सरपंच, राष्ट्रीय सचिव श्रीचन्द चावड़ा राजस्थान, श्याम सिंह ठाकरान, दुलीचंद, शीशराम चोकन बावल, कर्नल गणपत सिंह, डॉ कालू पार्षद, वकील अर्जुन सिंह पार्षद, बबल चोकन, संदीप तंवर (फोजी) (बिस्सर), देशराज प्रधान बिस्सर, बिरम पहलवान, प्रदीप पंच बिस्सर, सोनू गुर्जर, वीर रावत मुंडनवास रेवाड़ी, जीतन भाटी नरसिहपुर, टीटू छावडी भिवाड़ी, सुरेंद्र तंवर, मोहित तंवर।

नोट - समाज के सभी सरदारों से निवेदन है कि शहीद के घर जाना चाहिए वहा कोई रूकावट नहीं है शहिद के घर जाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है - नन्दलाल गुर्जर।