गुर्जर और अपराधजीवि जनजाति (क्रिमिनल ट्राइब):-मुग़ल या गोरो के राज में जो जातियां इनके कामो में टांग अड़ाया करती थी या रोड़ा बनती थी ऐसी जातियां हमेशा से ही गोरे और मुग़लो के गले की फांसबनी रही । गुर्जर जो की एक क्षत्रिय जाती है, अपना गुजर बसर खेती बाड़ी और पशुपालन के द्वारा करती है साथ में कई सदियो से भारत के ही नही अपितु देश दुनिया के कई भागो पर अपना साम्राज्य स्थापित करने वाली गौरवशील जाती है । मिहिर कुल हूंण, राजा मिहिर भोज, सम्राट कनिष्क, नागभट्, आदि कई शूर वीर योद्धा इसी महान गुर्जर जाती से सम्बंधित थे । परंतु आज कई लोगो के द्वारा गुर्जरो पर कटाक्ष किया जाता है गुज्जर"चोर" है "डकैत" है या ये भी कह के गुर्जरो से घृणा कि जाति है की ये जाती तो असमाजिक है भैंसचोर है आदि आदि आइये देखे क्यों है ये जाती असमाजिक, चोर, या डैकत?अपराधजीवि जनजाति या विमुक्त जाती, ये एक ऐसा तमगा था जो ब्रिटिश सरकार ने उन जातियो को प्रदान किया जो देश भक्त थी जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दि जिन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर देश के लिए बलिदान दिया, भारत के ब्रिटिश-राज के गवर्नर जनरल की अगुवाई में सन् 12 अक्टूबर 1871 में लागु किया गया criminal act जिसे बाद में स्वतन्त्र भारत की सरकार ने बदल के Hebitual Offenders Act 1952 में बदल दिया, 1871 criminal act सबसे पहले उत्तरी भारत में लागु किया गया बाद में 1876 में Bengal Presidency में लागू किया गया फिर 1911 में Madras Presidency और आखिर में 1924 में इस act कोसमूचे भारत में लागु कर दिया गया । इसके अधीन भारतीय मूल की वो जातिया या समूह जिनको चोर, डैकैत,विद्रोही जैसे संगीन और गैर जमानती जुर्म करने वाले कह के सम्भोदित किया गया जिनको सरकार ने बाकायदा सूचीबद्ध किया और क्योंकि ऐसे जातियो को अपराध् करने का आदि समझा गया, इसीलिए उनके आम तौर पर किये जाने वाले विचरण पर भी क़ानूनी प्रतिबन्ध लगाया गया और साथ ही इन जातियो से सम्बन्ध रखने वाले लोगो के वयस्क मर्दों को हफ्ते दर हफ्ते स्थानीय पुलिस चौकियों में हाजरी देने पर मजबूर किया गया।हास्यपद यहाँ ये बात भी है की ऐसी जातियो में जन्म लेने वाले बालक को भी जन्मजात अपराधी घोसित कर दिया जाता था।1883 में एक inquiry बैठाई गयी ये देखने के लिए की इस एक्ट में क्या तब्दीलियां करी जा सकती है और इसी फलस्वरूप 1887 के बदलाव में 4 से 18 साल तक के लड़को को अपने माँ बाप से दूर कर दिया जाता है क्योंकि वो पैदाइशी अपराधी है !!क्यों पड़ी ब्रिटिश सरकार को ऐसा कानून बनाने की ज़रूरत?गुज्जरों ने मुग़लो और ब्रिटिश सरकार के लगभग हर कदम का विरोध किया जिसवजह से उन्हें इस एक्ट का भुगतभोगी बनना पड़ा। 18वि शताब्दी में जब ब्रिटिश राज अपने पूर्ण वर्चस्व पर था, उस समय कई गुज्जर साम्राज् भी अपने शिखर पर थे, रोहिल्ला नवाब नजीब-उद्-दौला के समय में, गुर्जर दरगाह सिंह जिनके अधीन दादरी के 133 गाँव थे और जिनसे लगभग 29,000 रुपये लगान आता था जो वे अंग्रेजो को नहीं देते थे, मेरठ के राजा गुर्जर नैन सिंह का परीक्षितगढ़ का किले को 1857 में तोड़ दिया गया क्योंकि इसे अँगरेज़ पुलिस चौकी की तरह प्रयोग करना चाहते थे। इतिहास बताता है की 1857 के विद्रोह में गुज्जर ब्रिटिश सरकार के कट्टर विरोधी थे, 1857 के विद्रोह में एक विरोधी गुर्जर समूह ने 21 मई 1857 में बुलंदशहर में ब्रिटिश सरकार की सम्पति को काफी हानि पहुँचाई,1857 के विद्रोह में लुधियाना के मुस्लिम गुज्जरो ने ब्रिटिश सरकार का हर प्रकार से विरोध किया । उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गंगोह में जब अंग्रेजी सरकार ने अपनी रूचि दिखाई उसका भी गुज्जर क्रन्तिकारीयों ने जमकर विरोध किया, जिन्हें बाद में अंग्रेजी सरकार ने भारतीय मूल की कुछ अन्य जातियो के साथ मिलकर गुज्जर विद्रोहियों को खदेड़ दिया ।अंग्रेजी हुकूमत के दस्तावेज बताते है की किस तरह गुज्जर, सरकार और सरकारी सहयोगियों के हथियार, दस्तावेज, रुपया, घोड़े आदि चुरा लिया करते थे ताकि सरकार निर्मम लोगो पर अत्याचार न कर सके ओर सरकार कमजोर पड़ जाये।इन्ही सब की वजह से 1871 में criminal act लाया गया ताकि गुज्जरों की ब्रिटिश सरकार के खिलाफ की जाने वाली दबंगई को रोका जा सके, आज जो लोग गुज्जरों को खुले आम चोर डैकैत बोलते है वो जरा इसे पढ़कर सोचे की वो क्यों चोरी डकैती करते थे गुर्जर किसी भारतीय या गरीब के यहा चोरी डकैती नही करते थे गुर्जर विद्रोही अंग्रेज ओर उनके सैनिको के यहा लूट मार किया करते थे जिससे अंग्रेज कमजोर हो ओर विद्रोहियों को संघर्ष मे मदद मिल सके लेकिन इन सबको लोगो ने गलत पेश किया ओ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें