मित्रो सादर जय पथिक
गुर्जर इतिहास व गुर्जर संस्कृति की तरफ लालायित गुर्जर युवा
मित्रो,
हर्ष होता है जब युवाओं को अपने अतीत में झाँकने अथवा समझने की होड दिखती हो।आज चहुं और एक ही धारा प्रवाह है।हम क्या थे,हमारा इतिहास क्या रहा है एवं हमारी संस्कृति क्या रही है ?एक तरह से ऐसे ही है जैसे कोई व्यक्ति बहुत दिनों से भूखा हो और उसे अचानक खाना मिल जाए।वजह भी साफ दिखती है।समाज काफी अंतराल के बाद जागा।कमोबेस हमारा इतिहास बिगाडा गया(दबाया गया),सब कुछ बिगड जाने के बाद हमारी युवा पीढी फिर से संजोने की तैयारी कर रही है।बहुत दिनों के सूखे के बाद बारिश की संभावना जगी हो।
अब सोचने का विषय यह कि हम कितना कर पाते है यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन आगाज जबरदस्त दिखता है।
जानकार सूत्रों के अनुसार कई सामाजिक सरोकार के लोग प्रयासरत हैं।कई इतिहासकारों को यह कहते लिखते देखा गया है अपनी निजी सोच को भी इतिहास के समावेश में संजोने के प्रयास में लगे है।मैं कई बार लिख चुका हूं जिसपर मेरे समाज के लोगों को आपत्ति भी रही है।
हमेशा से मेरे द्रष्टिकौण में यही सब रहा है हमें निरंतर अपने कार्यों की समीक्षा करते रहना चाहिए।
मुद्दों को जितना उठाना जरूरी है,उसे अंजाम तक पहुंचाना उससे भी ज्यादा जरूरी है।
हम व हमारा समाज एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा हैं।उसकी अपनी एक गरिमा एवं मर्यादा है।
खुशी का विषय यह है जिस समाज के लोगों को दूसरे समाज के लोग "चोर"जैसे नामों से नवाजा जाता था आज वही लोग हमारे बुजुर्गों के बलिदान की गाथा गाने को मजबूर है।इसी के साथ-साथ इससे आगे का कार्य अधूरा है।मेरी अथवा मेरी टीम के लोगों की विश्वप्रसिद्ध विचारकों अथवा इतिहासकारों से वार्ता हुई हैं जो दूसरे समाजों से आते हैं।उनका भी कहना यही है हम मानते है गुर्जरों का इतिहास एवं संस्कृति अनूठी व बेजोड है लेकिन जब तक आप जबानी कहते रहोगे तब तक कोई सुनने व समझने वाला नहीं है।
गत वर्ष पूर्व हमारे समाज से जुडे लोगों ने एक सुरूआत की हम कोई दिवस मनाएं,मनाया भी जाने लगा लेकिन सवाल बार-बार जहन में उठता है कि हमारे ढेरों राजा,महाराजा तथा सम्राट हुए एवं वीर विजय सिंह पथिक जी जैसे क्रांतिकारी के साथ-साथ बडे विचारक भी हुए।इसी के साथ ही अनेकों ने फाँसियां खायी तो मेरे ख्याल से एक वर्ष में तो दिन ही मात्र गिनती के हैं।
मुझे इस बात का अहसास है कई सामाजिक मित्र इस बात को अन्यथा समझ बैठेंगे।
मित्रो पूरे देश दुनिया में सम्राट मिहिर भोज जी जयंती को मिहिरोत्सव के रूप में मनायी जा रही है। यह पर्व हमारे लिए गौरव का पर्व है। घर-घर में उत्सव का पर्व है।
मेरी सदैव से मान्यता रही है इतिहास,संस्कृति के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की पुख्ता कार्य योजना पर भी विचार करें। जिसका अभी तक अभाव है।कई बार मैंने इस पर अपनी बेबाक राय रखी है,जवाब कहीं से भी संतोष जनक नहीं है।
मेरा युवाओं को विनंम्रता पूर्वक यही कहना है,दिशा ही दशा को तय करती है। इसलिए मिहिरोत्सव पर यह प्रण करें हम समाज के सभी लोग समाज व देश हित में सदैव तत्पर रहेंगे।
आओ मिलकर एक शानदार कल का निर्माण करें।
चलो चलें,उस ओर चलें,
उम्मीदों के सायों मे,
"मिहिर"की ठौर चलें।
युवाओं को समर्पित
यशवीर गुर्जर
सम्पर्क 8595428233.
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