बुधवार, 29 अगस्त 2018

गुर्जर युवाओं का सोशल मीडिया के कबाड़ को ढोना

सादर जय पथिक

गुर्जर युवाओं का सोशल मिडिया के कबाड को ढोना।

मित्रो,
      आज मैं एक ऐसी विडम्बना से आप लोगों को रूबरू कराना चाहता हूं जो हमारे आस-पास रहते हुए हमारे दिमागों में एक कबाड रूपी विचार धारा को घुसाने की भरसक कोशिस की जा रही है।मजे की बात यह है कि हमारे ज्यादातर नौजवान अनभिज्ञ हैं।

कायदे से सोशल मीडिया एक बहतर मंच भी साबित हो सकता है एक दूसरे से विचारो को जानने व समझने के लिए लेकिन वैसा नही हो पा रहा है।
देश में भिन्न-भिन्न प्रकार के सामाजिक,धार्मिक एवं राजनीतिक संघठन है।कमोबेश सभी के अपने आई टी सैल(वार रूम)बने है।उन एक्सपर्ट को बाकायदा मोटी पगार दी जाती है।
आज के परिवेश में सभी संघठन व ग्रुप अपने फायदे के लिए किसी हद तक जाकर गलत सलत ऐजेन्डा समाज में फैलाने के कार्य में लगे है।
उनका न तो समाज,देश अथवा नौजवान के भविष्य से कोई लेना देना है।
हमारे समाज का एक चरित्र रहा है और आज भी है हम जल्दी भावुक हो जाते हैं।भावुकता वश इन्ही के बुने हुए जाल में फस कर गलत निर्णय पर पहुंच जाते हैं।
आज गुर्जर नौजवान जहाँ पहले के मुकाबले ज्यादा जागरूक अथवा प्रगतिशील हुआ है वहीं दूसरी तरफ ज्यादा भ्रमित भी हुआ है उसमें सोशल मीडिया का बडा रौल है।
एक विशेष संघठन व विशेष राजनीतिक दल हमारे नौजवानों को दिगभ्रमित करने में लगा है उनमें कथित धार्मिक उन्माद भरकर,कथित राष्ट्रवादी स्वांग से विचलित करने का कार्य कर रहा है।
कभी -कभी तो अतिरेक जैसी स्थिति होती है।तरह-तरह के मैसेज अथवा वीडियो डालकर जिनका हमारे देश अथवा समाज से कोई सरोकार नहीं है उन्हें केवल भावनाओं को भडकाने के लिए सोशल मीडिया पर छोड दिया जाता है।वहाँ पर सबसे ज्यादा धैर्य पूर्वक एवं विवेक पूर्वक समझना जरूरी है।ये वही लोग हैं जो हमारी भावना के साथ खिलवाड कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
नौजवानो थोडा विचार करो हम जाति के साथ-साथ क्लास भी हैं।

जहाँ हम एक तरफ अपने महापुरूषों का बखान करते-करते नहीं थकते कि हम देशभक्तों की संताने हैं।वहीं कोई भी हमें गलत-सलत जानकारी देकर अपनी गिरफ्त में ले लेता है।यह एक गंभीर विषय है।

कुछ हमारे समाज के तथा कथित इतिहासकार भी विशेष भूमिका निभाने में लगे हैं।इन्हे बाकायदा एक जिम्मेदारी देकर छोडा हुआ है।यह उससे भी ज्यादा खतरनाक है।
जिन लोगों की वजह से हम व हमारा समाज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है आज वही लोग कैसे हमारे शुभचिंतक हो गये।
जिन लोगों ने इतिहास,वर्तमान सब कुछ बिगाडा वह कब से हमारे तारनहार हो गये यह विचारना आवश्यक है।
यह एक विचारणीय विषय है इसपर गुर्जर युवाओं को गहन विचार के लिए मेरा आह्वान है।

मित्रो हम सब समाज का हित चाहते हैं लेकिन निजि स्वार्थ की सर्त पर नहीं।
नौजवानों किसी की कठपुतली नहीं बनो खुद के विवेक के बल पर आगे बढो।
ज्ञान वही है जिसे छान कर पीया जाय नही तो विष के समान है खुद भी मरोगे और समाज भी।

आज सब कुछ बदल चुका है,दिल से नहीं दिमाग से विचार करो।

अतः गुर्जर समाज के नौजवानों इस कबाड के टोकरे को अपने सर से उतार फैंको।
अपने विवेक को जगाने का कार्य करो।
हमारा सबसे बडा धर्म यह है समाज को मानसिक गुलामी से निकालने का भरसक प्रयास करें।

नौजवानों समाज उन्माद से नही,जज्बात अथवा आत्मविश्वास से आगे बढेगा।

अपने आस-पास के वैचारिक वातावरण को बहतर से और बहतर बनाने का कार्य करो।

समाज में जहर घोल रहे लोगों का पर्दाफास करो।
आओ हम प्रण करें न तो दिगभ्रमित होंगे और न ही समाज को होने देंगे।

नौजवान मित्रो संभल जाओ वर्ना हमारी दास्तान भी न बचेगी।

हमें वीर विजय सिंह पथिक जी के विचारों को सीढी बनाकर खुद व खुद के समाज के लिए आगे आना होगा।
अपने जैसे सैकडों समाजों को साथ लेकर बढना होगा।

मित्रो अब तीर व तलवार से नहीं आपसी समझ,भाईचारे अथवा स्वः विवेक से बढना होगा।
हमारे एक कदम के साथ अनेकों कदम जुड जाएंगे,फिर काहे की देरी है,बिगुल बजा दो एक नए उम्मीद के सूरज को उगाकर ही रहेंगे।

     यशवीर गुर्जर
मो. 8595428233.

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