22 मार्च को अंतराष्ट्रीय गुर्जर दिवस के रूप में क्यों मनाये ?
डा. सुशील भाटी
1 गुर्जर इस मायने में एक अंतराष्ट्रीय समुदाय हैं कि यह अज्ञात काल से भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और कुछ मध्य एशियाई देशो में निवास कर रहा हैं| क्योकि गुर्जर एक अंतराष्ट्रीय समुदाय हैं तो इसका एक अंतराष्ट्रीय दिवस भी होना चाहिये|
2 ऐतिहासिक तोर पर कनिष्क द्वारा स्थापित कुषाण साम्राज्य गुर्जर कौम का प्रतिनिधित्व करता हैं| यह साम्राज्य भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि उन सभी देशो में फैला हुआ था जहाँ आज गुर्जर रहते हैं| कुषाण साम्राज्य की एक राजधानी मथुरा, भारत में तथा दूसरी पेशावर, पाकिस्तान में थी| तक्षशिला और बेग्राम, अफगानिस्तान में इसकी अन्य राजधानी थी|
3 मशहूर पुरात्वेत्ता एलेग्जेंडर कनिंघम इतिहास प्रसिद्ध कुषाणों की पहचान आधुनिक गुर्जरों से की हैं| उनके अनुसार गुर्जरों का कसाना गोत्र कुषाणों का वर्तमान प्रतिनिधि हैं|
4 कनिष्क के साम्राज्य का एक अंतराष्ट्रीय महत्व हैं, दुनिया भर के इतिहासकार इसमें अकादमिक रूचि रखते हैं| प्राचीन काल का अंतराष्ट्रीय व्यापर मार्ग जिसे रेशम मार्ग कहा जाता था कुषाणों के नियंत्रण में था गुर्जरों के पूर्वजों अर्थात कुषाण परिसंघ के लोगो ने अपने साम्राज्य में एक सार्वदेशिक संस्कृति का पोषण किया | कुषाण साम्राज्य के अतरिक्त गुर्जरों से सम्बंधित कोई अन्य साम्राज्य नहीं हैं जोकि पूरे दक्षिणी एशिया में फैले गुर्जर समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इससे अधिक उपयुक्त हो| यहाँ तक की मिहिर भोज द्वारा स्थापित प्रतिहार साम्राज्य केवल उत्तर भारत तक सीमित था तथा पश्चिमिओत्तर में करनाल इसकी बाहरी सीमा थी|
5 अधिकांश इतिहासकारों के अनुसार कनिष्क ने अपने राज्य रोहण के अवसर पर 78 ईस्वी में शक संवत प्रारम्भ किया| शक संवत प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को आरम्भ होता हैं, अतः 22 मार्च कनिष्क के राज्य रोहण की तिथि हैं| दक्षिणी एशिया विशेष रूप से गुर्जरों के के प्राचीन इतिहास में यह एक मात्र तिथि हैं जिसे अंतराष्ट्रीय रूप से मान्य पूरी दुनिया में प्रचलित जूलियन कलेंडर के हिसाब से निश्चित किया जा सकता हैं| अतः अन्य पंचांगों पर आधारित तिथियों की विपरीत यह भारत, पाकिस्तान अफगानिस्तान अथवा अन्य जगह जहा भी गुर्जर निवास करते हैं यह एक ही रहेगी|
6 गुर्जरों का पूर्वज कनिष्क ने एक सार्वदेशिक संस्कृति से संपन्न अंतराष्ट्रीय साम्राज्य का स्वामी था| कनिष्क का इतिहास आज भी दुनिया भर के इतिहाकारो को आकर्षित करता हैं| कनिष्क की आज भी एक अंतराष्ट्रीय पहचान हैं| अतः कनिष्क के राज्य रोहण की तिथि 22 मार्च अंतराष्ट्रीय गुर्जर दिवस मनाने के लिए उपयुक्त हैं|
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