मेवाड़ा गायरी/गुर्जर/गारी/गाडरी/भारवाड़/भारुड़ - जाति एक नाम अनेक ये सभी वीर गुर्जर है। जोकि मेवाड़ मूल के है या मेवाड़ से निकले है। जो पशुपालन के कारण इतने नामों मे बटे है।
गुर्जर कितनी बड़ी जाती है यह अब पता चला है गायरी गुर्जर समाज के भाइयों को अभी भी नहीं पता है कि हम कितने हैं जो 100 किलोमीटर तक ही अपनी सीमा निर्धारित कर चुके वह समाज को नहीं पता कि हम गुर्जर हैं। 250-300 किमी के बीच 3 नामों में बटा समाज कितना अशिक्षित है इसकी कल्पना की जा सकती है। मेवाड़ - मेवाड़ा गाडरी/गायरी 2. मालवा - चौधरी ( मेवाड़ा गारी/गायरी) 3. हाड़ोती - गुर्जर (गायरी गुर्जर) गुर्जर कितनी बड़ी जाति एवं कौम है यह गायरी को आज तक नहीं पता है वह तो बस अपने को गायरी गुर्जर बोल देता है। और ज्यादा जीरह करो तो गायरी और गुर्जर दो भाई है, यह कह कर बात खत्म, और दन्त कहानी सुनने को मिलेगी की गायरी गाय के गर्भ से और गुर्जर उसकी जर से हुऐ हैं। जिस पर सिर्फ हंसी आती है। बल्कि ऐसा नहीं है, गुर्जर का संधि विच्छेद होता है - गुर्+जर जिसका अर्थ शत्रु विनाशक होता है, समाज के युवा भाईयो आज युवाओं का कर्तव्य है कि हमारा गायरी गुर्जर समाज एक हो। हम उस वीर गुर्जर जाति से है। जिसका उल्लेख इतिहास की हर किताब में मिलेगा । ऐसा कोई इतिहासकार नही है जो गुर्जर जाति का उल्लेख ना करता हो। गुर्जर नाम के बिना इतिहास अधूरा है। ज्यादातर विदेशी इतिहासकारो ने गुर्जर इतिहास और उनकी वीरता का उल्लेख किया है।
जय श्री देवनारायण
सही कहा गायरी गुर्जर एक है मैने भी इतिहास पड़ा और मेरे बुजुर्गो ने बोला हम मूल रूप से गुर्जर है ये तो युवा पीढ़ी ने इस धनगर शब्द को बढ़ावा दिया है पर हम गारी गुर्जर है ऐसे बोला करते है
जवाब देंहटाएंसही है भाई
हटाएंमैं आपसे एक सवाल पूछता हूं और माफी चाहता हूं कभी आपने पता किया है कि गायरी समाज में एक गोत्र होता है गुर्जर,जो,आज के राजस्थान में भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ उदयपुर राजसमंद अनेक ऐसे गांव है जो भरे पड़े हैं गुर्जर गोत्र के जो प्राचीन काल में एक राजघराना था वह निश्चित ही मेवाड़ा धनगर गायरी समाज से ही मिलता था,आज भारत के कई इतिहासकारों ने इस को मिटा दिया और जाति में जोड़ दिया कि यह गुर्जर है हमारे धनगर मेवाड़ा समाज में कहीं ऐसे कुल गोत्र है जो आज लुप्त हो चुकी है हमारी समाज के लोग करते हैं आप जानते हैं एक कर्नाट गोत्र होता है मेवाड़ा गायरी समाज में यह कर्नाट गोत्र कर्नाटक राज्य में एक राजवंश है राजस्थान भीलवाड़ा में से कुछ गांव है जिसमें कर्नाट वंश वहीं से मिल जाएंगे जिस वंश के नाम से कर्नाटक राज्य का नाम पढ़ा था आपको पता होगा कंधार का राजा जय पाल जिसकी गोत्र चंडालिया थी आज लोग उसको गुजर मानते हैं ऐसा क्यों क्यों सच्चाई को छुपाते हो आप लोग चंगेज खान को संसार में कौन नहीं जानता जिसको गडरिया नाम दिया गया है और वह गडरिया जाति का ही था उसकी गोत्र खाकी और वे चंगेज खान खाकी वंश के सम्राट थे आपको पता है कि एक धनगर मेवाड़ा गायरी समाज में मंगलौई,गोत्र होती है जिसको मंगोल भी कहते हैं उसी से चंगेज खान का नजदीक संबंध था और उसका मुख्य पशु भेड़ बकरी गाय आदि घोड़े सब कुछ थे नोट चंगेज खान मुस्लिम नहीं था वह बौद्ध धर्म को मानने वाला एक सच्चा गडरिया था जिसकी गोत्र खाकी
हटाएंमेवाड़ा गायरी गुर्जर मैं कर्नाट गोत्र नहीं होता ना हीं मंगलौई होता है गलत जानकारी नहीं दें।
हटाएंगायरी गुर्जर समाज एक ही है।
हटाएंBharvad
जवाब देंहटाएंगुजरात में भरवाड के लोग विश्व की टॉप गिर गाय रखते हैं
हटाएंगुजरात के भरवाड 52 दुवारa के ईश्वर को मानते हैं ll कालिया ठाकर ।। जय Dwarkadhish ...
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजय श्री देव जी की बिल्कुल हम मेवाड़ा गायरी गुर्जर है धनगर समाज से अपनी समाज का कुछ भी नाता नहीं है क्योंकि धनगर समाज एक अलग समाज है
जवाब देंहटाएंHa bhai
हटाएंगायरी है हम गायरी हि लगाये गे हम
जवाब देंहटाएंहम सब एक है जय देवनारायण भगवान की जय
जवाब देंहटाएंगायरी हो तो गायरी हि रहो गुर्जर बनने कि कोसीस मत करो
जवाब देंहटाएंMadarchod me gujjar hu wo bhi tanwar 💪
हटाएंहम gujjar he
जवाब देंहटाएंजय davnarayan
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