एसबीसी वर्ग के लोगो को संतुष्ट करने के लिये राज्य सरकार ने फिर से एक एसबीसी आरक्षण पर सामाजिक व आर्थिक सर्वे करने के लिये कमेटी गठित की गई है जिसमे सभी सदस्य सवर्ण जाती के रिटायर प्रोफ़ेसर है | अब जहाँ तक सर्वे की बात है संविधान के अनुच्छेद 16(4)के अनुसार केवल सामाजिक पिछड़ेपन की बात संविधान में की गयी है तथा दूसरी बात यह की यदि राजकीय सेवाओं में प्रतिनिधित्व किसी जाति का नहीं हो तो सरकार आरक्षण दे सकती है इसलिये अब गर्ग हाइकमेटी की कोई आवश्यकता नहीं है। हम सामाजिक व् शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं क्योंकि हम मूल ओबीसी है अब सरकार को केवल 2011 की जातिगत जनगणना से गुर्जरों की जनसँख्या के आंकड़े तथा राजकीय सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े कोर्ट में पेश करने चाहिए जो चोपडा कमेटी ने एकत्रित किये है और उन्ही पर इस गर्ग हाईकमेटी को अध्ययन करना चाहिये
इस कमेटी के गठित होने से एसबीसी वर्ग का कोई भला नही होने वाला है जाने क्यू :-
1.गुर्जर आरक्षण पर अब से पहले भी कई कमेटी चोपडा कमेटी , ओबीसी आयोग कमेटी . IDS.भारतीय विकास संस्थान सर्वे गठित हुई थी और अब हाईपावर कमेटी बना दी है |
2.सरकार हमेशा SBC.वर्ग का ही सर्वे करवा रही है जबकी OBC.वर्ग का भी सर्वे होना चाहिये |
3. इस हाईपावर कमेटी मे सभी सवर्ण समाज के लोग सदस्य है जबकी एक सदस्य SBC.वर्ग का भी होना चाहिये |
4 ये कमेटी वर्तमान स्थिति का सर्वे करेगी जबकी हमारी मांग 2005 से है तब के हालात और आज के हालत बहुत सुधर गये आवास व रहन सहन मे |
5 सर्वे वर्ष 2005 के अनुसार ही हो तब के हालात और सरकारी आंकडो पर सर्वे हो |
6.सर्वे करने के क्या मांपदंड बनाये गये है वो एसबीसी वर्ग को बताया जाये चौपडा कमेटी की तरह जिससे SBC.वर्ग के लोगो को पता चले |
7. केंद्र सरकार के द्वारा जस्टिस चौपडा कमेटी के सर्वे करने के ये थे पांच मांपदंड:- पिछडापन , संकोची स्वभाव , भौगोलिक एकाकिपन , विशिष्ट संस्कृति , आदिम विशिष्टता |
8.प्रदेश मे 20 जिले ऐसे है जो गुर्जर बाहुल जिले है जिसमे से 16 जिलो के कलेक्टरो ने गुर्जर समाज के पक्ष मे चौपडा कमेटी के माध्यम से केंद्र सरकार को रिपोरी भेजी थी 7 जिलो ( अजमेर , टोक , जयपुर , झुझुनू , कोटा , सीकर , धौलपुर ) के जिला कलेक्टर ने चौपडा कमेटी को पांचो मांपदंड़ पूर्ण करने की रिपोर्ट भेजी थी |
9.पांच जिलो (करौली , चितोड़गड़् , भरतपुर , अलवर , सवाइमाधोपुर ) के कलेक्टरो ने चार मांपदंड पूर्ण करने की रिपोर्ट भेजी थी |
10 . चार जिला ( बूंदी, दौसा , बांरा . बांसबाडा) के जिला कलेक्टर ने तीन मांपदन्ड़ पूर्ण करने की रिपोर्ट भेजी |
11. इन सभी जिलो के जिला कलेक्टर द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से स्पष्ट होता है की जो केंद्र के एसटी वर्ग मे शामिल करने के मांपदन्ड़ है वो गुर्जर पूर्ण करता है मगर राज्य सरकार ने उस चौपडा कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया जबकि चौपडा कमेटी ने भी कभी नही कहा था की गुर्जर समाज एसटी वर्ग मे शामिल होने के योग्य नही है |
12. 03 दिसम्बर 1999 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को भेजे गये 23जाती को ST.वर्ग मे और 14 जाती को ST मे शामिल करने के लिये पत्र को देखे हाईपावर कमेटी
13.राज्य सरकार ने 29 अक्टूम्बर 2002 को केंद्र सरकार को भेजे गये पत्र और उसके जबाब मे 2003 मे केंद्र सरकार से ST.मे शामिल करने के लिये पत्र आया जिसमे गुर्जर जाती का तीसरे स्थान पर नाम है उस पत्र को देखे हाईपावर कमेटी |
14. इन सभी आंकडो से स्पष्ट होता है प्रदेश की तत्कालिन कोन्ग्रेस सरकार ने गुर्जर समाज के साथ बहुत अधिक विश्वासघात करके मीठा जहर दिया था जो उन्होने 03 दिसम्बर 1999 के पत्र को तीन साल तक दबाये रखा और फ़िर दबाब मे आकर लास्ट 2002 मे भेजा था |
15. हाइकोर्ट ने 16 साल बाद 10 अग्सत 2015 को जाट OBC.आरक्षण से भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटो का आरक्षण रद्द किया था तो कोर्ट ने स्पष्ट फ़ैसला दिया था की अब तक नियुक्त सभी नौकरी यथावत रहेंगी लेकिन आज के बाद इन दोनो जिलो का आरक्ष्ण खत्म किया जाता है लेकिन 09 दिस्म्बर 2016 को एसबीसी वर्ग के आरक्षण पर नियुक्त नौकरीयो के यथावत रहने के लिये कोर्ट ने नही कहा था क्युकि वर्तमान सरकार ने हमारे साथ विश्वासघात किया है |
16. गुर्जर आरक्षण मामले में ओबीसी कमीशन ने सिर्फ 2001से 2012 तक के केवल राजकीय उपक्रमो ,सहकारी संस्थाओं एवं स्वयतशाषी निकायों के केवल 49275 पदो के लिए ही आंकड़े दिए गए थे।जबकि इस दौरान राज्य सरकार के बड़े विभागों शिक्षा,चिकित्सा, पुलिस सहित आदि विभगों की 2 लाख से अधिक नौकरियों के आंकड़े पेश क्यों नहीं किये गए। उनमे गुर्जरों की क्या स्थिति थी ?? ऐसा क्यू किया गया ??
कुलदीप गुर्जर
जिला करौली
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