छठ, छाठ और गुर्जर
डा. सुशील भाटी
ऐतिहासिकसम्बन्ध
देवसेना और देव उठान में देव शब्द की समानता के साथ पूजा का मकसद- अधिक से अधिक पुत्रो की प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना भी समान हैं| दोनों ही त्यौहार कार्तिक के शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं|
गुर्जर समाज मे छठ पूजा का त्यौहार सामान्य तौर पर नहीं होता हैं, परतु राजस्थान के गुर्जरों मे छाठ नाम का एक त्यौहार कार्तिक माह कि अमावस्या को होता हैं| इस दिन गुर्जर गोत्रवार नदी या तालाब के किनारे इक्कट्ठे होते हैं और अपने पूर्वजो को याद करते हैं| पुर्वजो का तर्पण करने के लिए वो उन्हें धूप देते हैं, घर से बने पकवान जल मे प्रवाहित कर उनका भोग लगते हैं तथा सामूहिक रूप से हाथो मे ड़ाब की रस्सी पकड़ कर सूर्य को सात बार अर्ध्य देते हैं| इस समय उनके साथ उनके नवजात शिशु भी साथ होते हैं, जिनके दीर्घायु होने की कामना की जाती हैं| हम देखते हैं कि छाठ और छठ पूजा मे ना केवल नाम की समानता हैं बल्कि इनके रिवाज़ भी एक जैसे हैं| राजस्थान की छाठ परंपरा गुर्जरों के बीच से विलोप हो गयी छठ पूजा का अवशेष प्रतीत होती हैं|
Emperor Kanishka |
ऐतिहासिकसम्बन्ध
पूजा के लिए बनाये गए देवताओं के चित्र के सामने पुरुष सदस्यों के पैरों के निशान बना कर उनके उपस्थिति चिन्हित की जाती हैं| गुर्जरों के लिए यह पूर्वजो को पूजने और जगाने का त्यौहार हैं| गीत के अंत में कुल-गोत्र के देवताओ के नाम का जयकारा लगाया जाता हैं, जैसे- जागो रे कसानो के देव या जागो रे बैंसलो के देव| देव उठान पूजन के अवसर पर गए जाने वाले मंगल गीत में हैं|
देवसेना और देव उठान में देव शब्द की समानता के साथ पूजा का मकसद- अधिक से अधिक पुत्रो की प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना भी समान हैं| दोनों ही त्यौहार कार्तिक के शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं|
गुर्जर समाज मे छठ पूजा का त्यौहार सामान्य तौर पर नहीं होता हैं, परतु राजस्थान के गुर्जरों मे छाठ नाम का एक त्यौहार कार्तिक माह कि अमावस्या को होता हैं| इस दिन गुर्जर गोत्रवार नदी या तालाब के किनारे इक्कट्ठे होते हैं और अपने पूर्वजो को याद करते हैं| पुर्वजो का तर्पण करने के लिए वो उन्हें धूप देते हैं, घर से बने पकवान जल मे प्रवाहित कर उनका भोग लगते हैं तथा सामूहिक रूप से हाथो मे ड़ाब की रस्सी पकड़ कर सूर्य को सात बार अर्ध्य देते हैं| इस समय उनके साथ उनके नवजात शिशु भी साथ होते हैं, जिनके दीर्घायु होने की कामना की जाती हैं| हम देखते हैं कि छाठ और छठ पूजा मे ना केवल नाम की समानता हैं बल्कि इनके रिवाज़ भी एक जैसे हैं| राजस्थान की छाठ परंपरा गुर्जरों के बीच से विलोप हो गयी छठ पूजा का अवशेष प्रतीत होती हैं|
सन्दर्भ
1. भगवत शरण उपाध्याय, भारतीय संस्कृति के स्त्रोत, नई दिल्ली, 1991,
2. रेखा चतुर्वेदी भारत में सूर्य पूजा-सरयू पार के विशेष सन्दर्भ में (लेख) जनइतिहास शोध पत्रिका, खंड-1 मेरठ, 2006
3. ए0 कनिंघम आर्केलोजिकल सर्वे रिपोर्ट, 1864
4. के0 सी0 ओझा, दी हिस्ट्री आफ फारेन रूल इन ऐन्शिऐन्ट इण्डिया, इलाहाबाद, 1968
5. डी0 आर0 भण्डारकर, फारेन एलीमेण्ट इन इण्डियन पापुलेशन (लेख), इण्डियन ऐन्टिक्वैरी खण्ड1911
6. जे0 एम0 कैम्पबैल, भिनमाल (लेख), बोम्बे गजेटियर खण्ड 1 भाग 1, बोम्बे, 1896
7. छठ पूजा, भारत ज्ञान कोष का हिंदी महासागर,file:///C:/Documents%20and%20Settings/Dell/Desktop/Surya%20shasthi/%E0%A4%9B%E0%A4%A0%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20-%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B6,%20%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0.htm
8.अनुष्ठान-सूर्यषष्ठी छठ पूजा)file:///C:/Documents%20and%20Settings/Dell/Desktop/Surya%20shasthi/Pratihar%20shasthi.htm
9.छठ के अलावा डूबते सूर्य की पूजा का कोई इतिहास नहीं मिलता,http://www.aadhiabadi.com/spirituality/festivals/391-chhat-pooja-surya-puja
10. नवरत्न कपूर, छठ पूजा और मूल स्त्रोत (लेख), दैनिक ट्रिब्यून, 14-12-12.
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