गुर्जर - गान : 22 मार्च अन्तराष्ट्रीय गुर्जर दिवस की पूर्व रात्रि को
आओ मिलकर बात करे हम गुर्जर जाति के उत्थान की,
सबसे ऊंची रही हमारी गाथा त्याग और बलिदान की|
मिहिरभोज -कनिष्क से बलशाली शासक इनकी शान है,
विजय सिंह पथिक सा ना दूजा हुआ कोई क्रांतिकारी किसान है|
हमने प्राचीरो पर चढकर अपने शीश चढाये हैं,
हमने ही मातृभूमि हित अपने सुत भिजवाये है|
वीर बांकुरे गुर्जर बोली समझे स्वाभिमान की,
नारी शक्ति ने निज शौर्य समय पर दिखलाया|
अपने पूत दूध को उसने देश धर्म ही सिखलाया,
पशुओ मे रहकर भी देवो से बढकर काम किया|
इसीलिये कान्हा ने राधा को अपना नाम दिया,
इसने ही परिभाषा दी सृष्टि के नव निर्माण की|
प्रजातन्त्र के सब प्रहरी एकीकरण को हार गये,
एक पटेल ने कर दिखलाया संकट सारे मार दिये|
अपने अधिकारों की रक्षा की खातिर इस धरा पर ऐसा आंदोलन कर डाला,
दमन और अन्याय के आगे दबकर नही जीने की परिपाटी को जिन्दा कर डाला|
धाय पन्ना के बिन शून्य गाथा राणा राजस्थान की,
बगडावत के वीर हठीलो का जग ने लोहा माना है|
भोजा की भक्ति, दान को कण-कण ने जाना है,
सन १८५७ में इस जाति के बलिदान को दुनिया ने अब जाना है |
गुर्जर जाति मे जन्मे कितने युगपुरुष अवतारी है,
इसीलिये विश्व पटल पर यह जाति सबसे न्यारी है|
गोविन्द वन्दन करता नित देवनारायण भगवान की.
आओ मिलकर बात करे हम गुर्जर के उत्थान की..!!
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