गुर्जर कुषाण राजवंश – भाषा विज्ञान के आधार पर कुषाणों का गुर्जर सिद्ध होना।।
आज एक जाति विशेष द्वारा कुषाणों पर अपना अधिकार जमाना व कुषाण राजवंश को अपना सिद्ध करना एकदम निराधार हैं, इसका सबसे बड़ा कारण हैं भाषा विज्ञान।।
क्योंकि उस जाति विशेष की कोई अपनी प्राचीन भाषा नहीं हैं, जो उनको कुषाणों से जोड़ती हो। किसी भी जाति की प्राचीन भाषा उसके इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण पहचान होती हैं क्योंकि भाषा विज्ञान के आधार पर ही उस जाति के सुनहरे इतिहास की हमें जानकारी हासिल होती हैं।।
जैसा की गुर्जरों की अपनी प्राचीन गुर्जरी भाषा रही हैं, जो विश्व के कई देशों में प्रमुखता से आज भी बोली जाती हैं, गुर्जरी भाषा विश्व की अंतरराष्ट्रीय प्राचीन भाषाओं में से एक हैं, जो सदियों से गुर्जरों द्वारा बोली जाती रही हैं, जिसका अपना साहित्य हैं, संगीत है, इतिहास हैं, व कई भाषाओं की जन्नी हैं, गुर्जरी भाषा।।
इसी गुर्जरी भाषा में व कुषाणों द्वारा बोली जाने वाली बाख्तरी भाषा में भाषा विज्ञान के द्वारा गहनता से जाँच करने पर गुर्जरी व बाख्तरी भाषा में समानता के प्रमाण मिलते हैं, जबकि उस जाति विशेष की कोई अपनी प्राचीन भाषा का कोई ऐसा प्रमाण नहीं, जो भाषा विज्ञान की सहायता से बाख्तरी भाषा में अपनी प्राचीन भाषा यदि कोई होतो समानता को साबित कर सके।।
कुषाणों की तोखारी भारोपीय समूह की केंटूम वर्ग की भाषा थी| किन्तु बक्ट्रिया में बसने के बाद इन्होने मध्य इरानी समूह की एक भाषा को अपना लिया| इतिहासकारों ने इस भाषा को बाख्त्री भाषा कहा हैं| कुषाण सम्राटों के सिक्को पर इसी बाख्त्री भाषा और यूनानी लिपि में कोशानो लिखा हैं| गूजरों के कसाना गोत्र को उनकी अपनी गूजरी भाषा में कोसानो ही बोला जाता हैं| अतः यह पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता हैं कि आधुनिक कसाना ही कुषाणों के प्रतिनिधि हैं|
कुषाण के लिए कोशानो ही नहीं ‘कसाना’ शब्द का प्रयोग भी ऐतिहासिक काल से होता रहा हैं| यह सर्विदित हैं कि कसाना गुर्जरों का प्रमुख गोत्र हैं| एनसाईंकिलोपिडिया ब्रिटानिका के अनुसार भारत में कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कड़फिसेस को उसके सिक्को पर ‘कशाना यावुगो’ (कसाना राजा) लिखा गया हैं| किदार कुषाण वंश के संस्थापक किदार के सिक्को पर भी ‘कसाना’ शब्द का प्रयोग किया गया हैं| स्टडीज़ इन इंडो-एशियन कल्चर , खंड 1 , के अनुसार ईरानियो ने कुषाण शासक षोक, परिओक के लिए कसाना शासक लिखा| कुछ आधुनिक इतिहासकारों ने कुषाण वंश के लिया कसाना वंश शब्द का प्रयोग भी अपने लेखन में किया हैं, जैसे हाजिमे नकमुरा ने अपनी पुस्तक में कनिष्क को कसाना वंश का शासक लिखा हैं|
अतः इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता कि आधुनिक गुर्जरों का कसाना गोत्र ही इतिहास प्रसिद्ध कुषाणों के वंशज और वारिस हैं|
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