ये गुर्जरी भाषा राजस्थानी, मैवाती , ब्रज भाषा , खानदैशी , निमाडी गुजराती, अवधी ,भोजपुरी, गडवाली , हरियाण्वी , गगां -यमुना के दोआब मे बोली जाने वाली खडी बोली ओर मालवी से मिलती जुलती है ।
{ ग्रेरिर्यसन , के. एम . मुशीं , मजुमदार ओर डा. श्याम परमार ने इन सब भाषाओ को गुर्जरी माना है । }
" हम जिस सास्कृतिक पृष्ठ भूमि पर खडे हे वह एक सास्कृतिक समन्वय का परिणाम है।
जिसकी आधार शिला गुर्जरी भाषा है।
पंजाब के उतर -पश्चिम पहाडी प्रदेश मे, जो कि मूरी, जम्मू, चित्राल ओर हजारा का पहाडी प्रदेश हे । पैशावर के उतर मे पडे वीरान प्रदेश मे, स्वात नदी ओर कशमीर की पहाडियो मे असंख्य गुर्जर अपनी यायावर जिन्दगी बिताते हे वहा वै गुज्जर कहलाते है।
यधपि वे अपने दैश की राष्ट्र भाषा बोलने मे समर्थ है , तो भी उनकी एक विशिष्ट भाषा है,
जिसे " गूर्जरी " कहते है ।
यह थोडी बहुत स्थानानुसार बदलती रहती है। ओर राजस्थानी से मिलती जुलती है । ओर छोटी पर्वत श्रैणियो के साथ -साथ चम्बा, गढवाल, कुमाऊं ओर पश्चिमी नैपाल भी विधमान है।
सन्दर्भ :-----
डा. ग्रयसन
लैग्वैस्टिक सर्वे आफ इंडिया
जिल्द - 9 , भाग -4 , पृष्ठ -10
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