गुर्जरी/गोजरी/गोअर भाषा संस्कृति :-
किसी भी तरह के इतिहास का सम्बन्ध उसकी संस्कृति से जुड़ा होता है,
जैसे,, गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित क्षेत्र ) को
-> राजपूताना(in 1800 given by georg thomhas) &
-> राजस्थान( 1829 col.todd called) कहा गया
अब यह ठीक उसी प्रकार से हुआ है जैसे 12 वी शताब्दी के उत्तरार्द्ध मे ही Gozri/Gohar/Guzri language से राजस्थानी, डिंगल & मारवाड़ी भाषा का उद्भव हुआ वैसे ही ठीक 4 गुर्जर वंशो को राजपूत संघ कहा या कहलवाया (according to theory of ^agnikund^ son of king but not King or THE KING OF KINGs) गया
,,,,,, क्योंकि किसी भी history को बनाने के लिए culture develop करना जरूरी है
और finally विश्व की प्रथम और अन्तिम नस्ल जिसे^^ वीर^^ उपाधि(VeeR GuRjJaRs) से शोभित किया गया उसकी संस्कृति मिटाने को अनवरत प्रयास किया गया ब्रम्हांवैवर्त पुराण के अनुसार परशुराम (page 379 line no. 9) से लेकर अभी तक, ,
(at present and also past koi gurjjar veero se fight mai destroyed hota gya , bcz GURJAR means hi ENEMY DESTROYER hota hai , aaj vulgar songs bnake & Gurjari jo ki language hai usase Gurjjars women ko kha gya jbki factual dekhe tho vhh GURJARANI hota hai )
लेकिन आज भी गुर्जरी भाषा 8 देशो मे बोली जाती है, , , भारत के कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब के कुछ क्षेत्रो मे ,,, HP state mai Gozri language prr PHD bhi krvai jaa rhi hai..
और आज भी यह गुर्जर भूमि , गुर्जरत्रा, गुर्जरदेश का गौरव बखूबी अंजाम दे रही है
=== "आठ देस गूजरी " ===
अपभ्रंश से ही मारवाडी भाषा का जन्म हुआ । कुछ विद्वानो के अनुसार सोराष्टि अपभ्रंश से मरू भाषा की उत्पत्ति हुई तो कुछ विद्वान नागर अपभ्रंश को इसका मूल मानते है पर वास्तव मे मरू भाषा की जननी
"गुर्जरी अथवा गुर्जर अपभ्रंश "
है । बारहवी शताब्दी के आस - पास सै गुर्जरी अपभ्रंश से प्रभावित राजस्थानी का निर्माण होने लग गया था । यधपि गुर्जरी अपभ्रंशोदूभूत मरू भाषा का निर्माण इसी समय हुआ पर मरू भाषा का स्वतंत्र उल्लेख हमे आठवी सदी से मिलना आरम्भ हो जाता है । संवत 835 ( ईस्वी 778 ) मे जालोर नगर मे जैन आचार्य उधोतनसूरि रचित कुवलयमाला नामक ग्रंथ मे अष्टादश देशी भाषाओ का नामोल्लेख हुआ है हुआ है उसमे गुर्जर अपभ्रंशी मरू भाषा का उल्लेख करते हुये कहा है ---- " अप्पा तुप्पा , भणिये अह पेच्छइ मारूए तत्तो "
"आठ देसरी गूजरी " नामक पाण्डुलिपि मे भी गुर्जरी भाषा व उसके कार्य क्षेत्र का विस्तार से वर्णन है ।
सन्दर्भ :--
1- आठ देसरी गूजरी - अनूप संस्कत लाइब्रेरी, बीकानेर हस्त लिखित ग्रन्थ - संख्या -120 , ( ठ )
2. राजस्थानी भाषा - सुनीति कुमार चटर्जी
3 . राजस्थानी भाषा ओर साहित्य
4. लिग्विस्टिक सर्वे ऑफ इडिया - डा. ग्रियर्सन, खण्ड -1 , भाग -1
5. राजस्थानी भाषा ओर साहित्य - पृष्ठ - 34
So aware of this bcz all people saying that we r Shepherd/पशुपालक but they forgot about there father/Bappu (kushan,huna) were also Shepherd bcz they were or are Gurjars.
^जो दृढ राखे धर्म को , ताहि राखे करतार ^
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