विदेशी शब्द -
आज हमने ये लेख इसलिए लिखा है क्यूकि कुछ लोग लिखते है क़ि गुर्जर समाज विदेशी है, वे भारत के नही हैं| सबसे पहले तो मैं आपको विदेशी शब्द की परिभाषा बतादु |
विदेशी शब्द की परिभाषा - जो समाज या बिरादरी किसी देश की संस्कृति,समाज,धर्म आदि का हिस्सा ना हो तब उसको विदेशी कहा जाता हैं, पर यदि कोई भी समाज दुनिया के किसी भी हिस्से मे बस जाएँ और वहाँ जाकर उस देश की संस्कृति,समाज,धर्म आदि का हिस्सा बन जाए, तो इस दिशा मे किसी बिरादरी या समाज के लिए विदेशी टर्म का प्रयोग बिल्कुल अनुचित होगा| क्यूकि वो समाज तो उस देश की संस्कृति,समाज आदि का हिस्सा बन चुका है, तो फिर किस आधार पर कोई समाज विदेशी कैसे हो सकती है|
वो सिर्फ़ ओर सिर्फ़ एक ही आधार पर किसी समाज को विदेशी माना जा सकता हैं, और वो ये हैं, क़ि वो समाज उस देश मे बस जाने के बाद भी उस देश की संस्कृति,धर्म,समाज आदि का हिस्सा ना बन पाए, तो इसी आधार पर ह्म उस समाज को विदेशी कहेंगे|
पर आजकल लोग विदेशी शब्द का आर्थ ये समझ बैठे हैं की जो भारत की सीमाओ से बाहर रहते है वो विदेशी कहलाते है, जो की सरासर ग़लत ईतिहास मे हुए रूट माइग्रेशन को लेकर|
सबसे पहले विदेशी बोलने वालो को उनके देश कि सीमा कहा तक थी पुछो !! जिस काल मे सीमा ही निश्चित ना हो उसे विदेशी कैसे कहा जा सकता है ?
गुर्जर समाज चाहे दुनिया मे किसी हिस्से से भारत मे आए हो, पर गुर्जर समाज ने भारत देश की संकृति, समाज, धर्म आदि को स्वीकारा है, ओर उसके अनुरूप ही चला है, जिसके चलते गुर्जारो को हिंदू धर्म मे क्षत्रियो की उपाधि मिली है| हम भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा है सदियो से इसलिए गुर्जर समाज क लिए विदेशी शब्द का प्रोयोग नाकाफ़ी होगा| क्यूकि गुर्जर समाज ने इस .विश्व को गुरजरी भाषा, गुरजरी तोड़ राग, गुरजरी पोशाक, गुर्जरभूमि, गुर्जर जाति, गुर्जर युध नृत्य कला, गुर्जर संस्कृति, गुर्जर क्षत्रिया आदि जैसे वीर गुर्जर संस्कृति प्रदान की है जिस पर ह्मे बहुत गर्व है, ओर यही गुर्जर संस्कृति भारतीय समाज मे समावेश विभिन्न संस्क्रतियो मे से एक गुर्जर संस्कृति भी भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा हैं, ना की एक विदेशी जाति|
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